01 |
पारस्परिक निकटता को अनुभव कर परस्पर सद्भावना एवं मैत्री के भावों का सुदृढ करना।
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02 |
समाज के बदलते हुये ढांचे में अपना स्वरूप सुनिश्चित करना। |
03 |
समाज के प्रगतिशील वर्गों के साथ सामंजस्य स्थापित करना। |
04 |
समाज की युवा एवं महिला जागरण की शक्तियों का समुचित सदुपयोग कर समाज को प्रगति की ओर अग्रसर करना। |
05 |
समाज की युगानुकूल गत्यात्मक शक्तियों को प्रोत्साहित करना। |
06 |
जातिवाद की रूढ़िगत धारणाओं और अन्धविश्वासों को नष्ट करना। |
07 |
दलगत राजनीति से सर्वथा मुक्त रहते हुए समाज के वैचारिक दायरे को बढ़ाना। |
08 |
समाल में धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, नैतिक, राजनैतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक चेतना को विकसित करना। |
09 |
अध्ययन-अध्यापन की प्रवृतियों के विकास की समुचित व्यवस्था कर समाज के शैक्षिक व नैतिक धरातल को समुन्नत करना। |
10 |
सामाजिक हित एवं कल्याण के लिए कोष की स्थापना कर उसके माध्यम से समाजोत्थान के लिए प्रयास करना। |
11 |
समाज को राष्ट्रीय पैमानों के अनुरूप सक्षम बनाना। |